Home गोंदिया जिल्हा भिन्न भाषी साहित्य मंडल की मासिक कवि गोष्ठी

भिन्न भाषी साहित्य मंडल की मासिक कवि गोष्ठी

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कवियों पर चढ़ा होली का रंग, पेश किया गीत, ग़ज़ल, हास्य और व्यंग्य
गोंदिया : कवियों ने रंगपंचमी का औचित्य साधकर जहाँ एक दूसरे को रंग गुलाल से सराबोर कर दिया वहीँ अपने ताजा तरीन गीतों, ग़ज़लों एवं हास्य व्यंग्यों से कवि-गोष्ठी को यादगार बना दिया। प्रसंग था भिन्न भाषी साहित्य मंडल की मासिक कवि गोष्ठी श्रंखला अंतर्गत होली मिलन कवि-गोष्ठी का जो रविवार दि.31 मार्च को यहाँ रेलवे कालोनी स्थित दपूमध्य ओबीसी रेलवे कर्मचारी संगठन कार्यालय में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई।
इस होली मिलन समारोह की अध्यक्षता श्री राजस्थानी ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ पं. बजरंग लाल शर्मा ने की। बतौर प्रमुख अतिथि मराठी एवं हिन्दी के वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार श्री माणिक गेडाम, विशेष अतिथि व्यवसायी श्री अशोक जैन तथा मंच संचालक श्री रमेश शर्मा मंच पर उपस्थित थे। अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र के पूजनोपरांत कवियों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर आत्मीयता व्यक्त की। सभी के चेहरे विविध रंगों से रंगे नजर आए जो वसंत का आभास करा रहे थे। अतिथि स्वागत प्रकाश मिश्रा, छगन पंचे, रूपचंद जुम्हारे, एवं मनोज एल जोशी ने किया। वरिष्ठ कवि श्री शशि तिवारी के मधुर स्वरों में सरस्वती वंदना से कवि गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। प्रथम कवि के रूप में श्री दीपक गाजीपुरी ने आते ही – गलत पते की लेकर चिट्ठी मेरा कबूतर उड़ गया गीत सुनाकर समा बांध दिया। श्री रूपचंद जुम्हारे ने शहर में होली का रंग, श्री चिरंजीव बिसेन ने पत्नी के साथ साड़ी खरीदने गये बाजार, श्री चन्द्रप्रकाश बनकर ने कड़ी धूप में कैसे खिलखिलाए पलाश, श्री किशन सिंह गुरु ने मांग भरने की सजा इस तरह पाया मैने, श्री निखिलेशसिंह यादव ने जड़ों में जख्म लगने से टहनियाँ टूट जाती हैं, श्री मनोज बोरकर मुसव्विर ने होली का रंग, साथ में भंग, श्री रविकांत अंबुले ने बाप बाजार चा भाजी पाला नाही रे, वरिष्ठ कवि श्री छगन पंचे ने छक्के को पंचे से हो गया है प्यार क्या करें , श्री सुरेन्द्र जगने ने होली का रंग, साली के संग सुनाकर खूब वाहवाही लूटी वही श्री सुरेश बंजारा, श्री प्रकाश मिश्रा,श्री गोवर्धन बिसेन गोकुल,श्री माणिक गेडाम,श्री शशि तिवारी एवं श्री रमेश शर्मा की रचनाओं ने कवि गोष्ठी को गरिमापूर्ण ऊंचाई प्रदान की। कवि श्री नरेश आर गुप्ता, गायक कलाकार श्री दिनेश कुर्वे ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री माणिक गेडाम ने महाराष्ट्र की कवयित्री बहिनाबाई का जिक्र  करते हुए बताया कि वे पढ़ी लिखीं नहीं थी फिर भी उनकी कविताएं आज विद्यालयों में पढ़ाई जाती है,उन्होंने कविता लेखन को प्राकृतिक वरदान निरूपित किया।संचालन का दायित्व बड़ी रोचकता के साथ श्री रमेश शर्मा ने निभाया। आरंभिक संचालन संस्था संयोजक श्री शशि तिवारी ने किया। अध्यक्षीय संबोधन में पं. बजरंगलाल शर्मा ने सभी कवियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें निरंतर प्रगति की शुभकामनाएँ दी। आज साहित्य मंडल की होली है रे रसिया इस गीत से सभी को गुदगुदाते हुए आभार प्रदर्शन सचिव श्री मनोज एल जोशी ने किया। संस्था की आगामी मासिक कवि गोष्ठी वरिष्ठ कवि श्री रमेश शर्मा के निवास सेल टैक्स कालोनी में होने की घोषणा की गई।
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